मल्लीनाथ पशुमेला तिलवाड़ा बालोतरा 2018
Mallinath Cattle Fair Tilwara Balotra Dist Barmer Rajasthan
मालानी के संत शासक ,रावल श्री मल्लीनाथ जी के नाम से विश्व प्रसिद्ध पशु मेला, ग्राम तिलवाड़ा बालोतरा, जिला बाड़मेर राजस्थान में हर साल होली के बाद ग्यारस के दिन ,विधिवत झंडारोहण से शुरू हुआ। ऐसा माना जाता है कि लगभग 700 साल पहले मालानी के संत शासक, रावल श्री मल्लीनाथ जी के राज्याभिषेक के समय , विभिन्न क्षेत्रों से पधारे संत, सामंत ,राजा महाराजाओं और आमजन ने हजारों की संख्या में भाग लिया था ,लौटते समय उन्नत नस्ल के बैल ,ऊंट व घोड़ों का आदान प्रदान किया गया था , तभी से इस प्रसिद्ध मेले की शुरुआत मानी जाती है । इस मेले में हजारों पशु पालक और व्यापारी ,सांचोरी नस्ल के बैल मालाणी व अन्य नस्ल के घोड़े व ऊंटों की खरीद फरोख्त करते है। इसके अलावा उन्नत नस्ल भैंसा ,बैल घोड़े व ऊंट को देखने तथा खरीदारी करने विभिन्न प्रदेशों से आए हजारों पशुपालक, व्यापारी व आमजन शामिल हुए। अब इस मेले की पहचान सिर्फ घोड़ों का मेला के रूप में ही रह गई है। मेले में हर उम्र और वर्ग की खरीदारी के लिए दुकाने, stalls व बहुत बड़ा हाट बाजार सजता है। मेले न केवल मनोरंजन का साधन है ,बल्कि यह ग्रामीण जीवन का आधार भी है । मेले और त्योहार हजारों लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करते हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
समय के साथ साथ मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाड़ा के स्वरुप में भी बदलाव आया है । जानकार बुजुर्गों के अनुसार पहले इस मेले में 1लाख से भी अधिक पशु व डेढ़ लाख से भी अधिक लोग शामिल होते थे ,और यह मेला एक माह तक भरपूर चलता था ।अब मेले में आने वाले पशुओं की तादाद में भी लगातार कमी आ रही है । अब यह मेला सिर्फ 15 दिनों में ही समाप्त हो जाता है ।
आधुनिकता की चकाचौंध ,मशीनीकरण, पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव ,पशुओं की उपयोगिता में कमी ,मनोरंजन के साधनों का विकास, प्रशासनिक व राजनैतिक कारणों के चलते विश्व प्रसिद्ध श्री मल्लीनाथ पशु मेले की रंगत धीरे धीरे फीकी पड़ रही है, जो कि एक चिंता का विषय है । सभी जनप्रतिनिधियों ,समाजसेवी संगठनों ,सरकारी अधिकारियों और प्रबुद्ध नागरिकों का यह कर्तव्य है कि, प्राचीन मेलों की संस्कृति को बचाए रखने में अपना सहयोग प्रदान करें । अन्यथा यह मेला विलुप्त हो कर ,सिर्फ वीडियो और फोटो तक सीमित होकर रह जाएगा।
Video covers :
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1 क्यों मनाया जाता है तिलवाड़ा पशु मेला?
2 कब मनाया जाता है तिलवाड़ा पशु मेला?
3 किसकी याद में मनाया जाता है तिलवाड़ा पशु मेला
4 क्यों प्रसिद्ध है मल्लिनाथ तिलवाड़ा पशु मेला?
5 कहां भरता है रावण श्री मल्लीनाथ पशु मेला?
6 रावल श्री मल्लीनाथ कौन थे?
7 रावल श्री मल्लीनाथ पशु मेला का इतिहास
8 तिलवाड़ा कहां पर है?
9 राजस्थान का प्रसिद्ध घोड़ों का मेला कहां भरता है
10 तिलवाड़ा पशु मेले में कौन-कौन से पशु आते हैं
11 तिलवाड़ा पशु मेला क्यों सिकुड़ रहा है ?
12 Where helds Horse Fair in Rajasthan?
13 Who was Rawal Shri Mallinath?
14 Famous horse fair of Rajasthan
15 Indian horse fair, travel video
16 Balotra Horse Fair
17 Tilwara Horse Fair Rajasthan
18 Famous Cattle Fair of Rajasthan
19 राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला
20 मल्लीनाथ पशुमेला तिलवाड़ा बालोतरा राजस्थान
मालानी के संत शासक ,रावल श्री मल्लीनाथ जी के नाम से विश्व प्रसिद्ध पशु मेला, ग्राम तिलवाड़ा बालोतरा, जिला बाड़मेर राजस्थान में हर साल होली के बाद ग्यारस के दिन ,विधिवत झंडारोहण से शुरू हुआ। ऐसा माना जाता है कि लगभग 700 साल पहले मालानी के संत शासक, रावल श्री मल्लीनाथ जी के राज्याभिषेक के समय , विभिन्न क्षेत्रों से पधारे संत, सामंत ,राजा महाराजाओं और आमजन ने हजारों की संख्या में भाग लिया था ,लौटते समय उन्नत नस्ल के बैल ,ऊंट व घोड़ों का आदान प्रदान किया गया था , तभी से इस प्रसिद्ध मेले की शुरुआत मानी जाती है । इस मेले में हजारों पशु पालक और व्यापारी ,सांचोरी नस्ल के बैल मालाणी व अन्य नस्ल के घोड़े व ऊंटों की खरीद फरोख्त करते है। इसके अलावा उन्नत नस्ल भैंसा ,बैल घोड़े व ऊंट को देखने तथा खरीदारी करने विभिन्न प्रदेशों से आए हजारों पशुपालक, व्यापारी व आमजन शामिल हुए। अब इस मेले की पहचान सिर्फ घोड़ों का मेला के रूप में ही रह गई है। मेले में हर उम्र और वर्ग की खरीदारी के लिए दुकाने, stalls व बहुत बड़ा हाट बाजार सजता है। मेले न केवल मनोरंजन का साधन है ,बल्कि यह ग्रामीण जीवन का आधार भी है । मेले और त्योहार हजारों लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करते हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
समय के साथ साथ मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाड़ा के स्वरुप में भी बदलाव आया है । जानकार बुजुर्गों के अनुसार पहले इस मेले में 1लाख से भी अधिक पशु व डेढ़ लाख से भी अधिक लोग शामिल होते थे ,और यह मेला एक माह तक भरपूर चलता था ।अब मेले में आने वाले पशुओं की तादाद में भी लगातार कमी आ रही है । अब यह मेला सिर्फ 15 दिनों में ही समाप्त हो जाता है ।
आधुनिकता की चकाचौंध ,मशीनीकरण, पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव ,पशुओं की उपयोगिता में कमी ,मनोरंजन के साधनों का विकास, प्रशासनिक व राजनैतिक कारणों के चलते विश्व प्रसिद्ध श्री मल्लीनाथ पशु मेले की रंगत धीरे धीरे फीकी पड़ रही है, जो कि एक चिंता का विषय है । सभी जनप्रतिनिधियों ,समाजसेवी संगठनों ,सरकारी अधिकारियों और प्रबुद्ध नागरिकों का यह कर्तव्य है कि, प्राचीन मेलों की संस्कृति को बचाए रखने में अपना सहयोग प्रदान करें । अन्यथा यह मेला विलुप्त हो कर ,सिर्फ वीडियो और फोटो तक सीमित होकर रह जाएगा।
Video covers :
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1 क्यों मनाया जाता है तिलवाड़ा पशु मेला?
2 कब मनाया जाता है तिलवाड़ा पशु मेला?
3 किसकी याद में मनाया जाता है तिलवाड़ा पशु मेला
4 क्यों प्रसिद्ध है मल्लिनाथ तिलवाड़ा पशु मेला?
5 कहां भरता है रावण श्री मल्लीनाथ पशु मेला?
6 रावल श्री मल्लीनाथ कौन थे?
7 रावल श्री मल्लीनाथ पशु मेला का इतिहास
8 तिलवाड़ा कहां पर है?
9 राजस्थान का प्रसिद्ध घोड़ों का मेला कहां भरता है
10 तिलवाड़ा पशु मेले में कौन-कौन से पशु आते हैं
11 तिलवाड़ा पशु मेला क्यों सिकुड़ रहा है ?
12 Where helds Horse Fair in Rajasthan?
13 Who was Rawal Shri Mallinath?
14 Famous horse fair of Rajasthan
15 Indian horse fair, travel video
16 Balotra Horse Fair
17 Tilwara Horse Fair Rajasthan
18 Famous Cattle Fair of Rajasthan
19 राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला
20 मल्लीनाथ पशुमेला तिलवाड़ा बालोतरा राजस्थान